Pope francis dies at age of 88 who could be the new pope a look at potential successors.

88 साल की उम्र में ईसाइयों के सबसे बड़े धर्मगुरु पोप फ्रांसिस ने दुनिया को अलविदा कह दिया है. वेटिकन ने उनके निधन की पुष्टि की है. पोप फ्रांसिस ने 12 साल तक कैथोलिक चर्च का नेतृत्व किया. मार्च 2013 में वो पोप बने थे जब उनके पूर्ववर्ती पोप बेनेडिक्ट XVI ने इस्तीफा दिया था.

हाल ही में फ्रांसिस को सांस लेने में तकलीफ के चलते 14 फरवरी को रोम के जेमेली अस्पताल में भर्ती कराया गया था. बाद में पता चला कि उन्हें डबल निमोनिया था जिससे सांस लेना बेहद मुश्किल हो जाता है. हालांकि वो बेहतर भी हुए, ईस्टर संडे पर सेंट पीटर्स स्क्वायर में लोगों के सामने आए थे और कल सुबह ही अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस से भी मिले थे.

कई मायनों में ऐतिहासिक रहे पोप फ्रांसिस

पोप फ्रांसिस कई मायनों में ऐतिहासिक रहे. वे पहले जेसुइट पोप थे, पहले अमेरिका से आने वाले पोप, दक्षिणी गोलार्ध से आने वाले पहले पोप और एक हज़ार साल बाद पहले गैर-यूरोपीय पोप बने. अब उनके निधन के बाद सवाल ये है कि दुनिया की सबसे बड़ी धार्मिक जिम्मेदारी का ताज किसके सिर पर सज सकता है? अगला पोप कौन होगा? फिलहाल ये 6 चेहरे चर्चा में हैं.

नए पोप कैसे चुने जाते हैं?

पोप की मौत के बाद अगले पोप के दावेदारों के बारे में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं होती. नए पोप का चयन एक खास प्रक्रिया से होता है जिसे पैपल कॉन्क्लेव कहा जाता है. जब पोप की मौत होती है तब कैथोलिक चर्च के कार्डिन्लस चुनाव करते हैं. कार्डिनल्स वरिष्ठ पादरियों का एक ग्रुप है. इनका काम पोप को सलाह देना होता है. हर बार इन्हीं कार्डिनल्स में से पोप चुना जाता है. हालांकि पोप बनने के लिए कार्डिनल होना जरूरी नहीं है, लेकिन अब तक हर पोप चुने जाने से पहले कार्डिनल रह चुके हैं.

कौन हो सकते हैं नए पोप? ये 5 नाम चर्चा में

वेटिकन सिटी में 253 कार्डिनल हैं. वोटिंग के अधिकार से 80 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को बाहर रखा जाता है. सिर्फ 138 कार्डिनल के पास ही मतदान का अधिकार है.

1. कार्डिनल पिएत्रो पारोलिन: वेटिकन की सत्ता संरचना में एक बड़ा नाम, कार्डिनल पिएत्रो पारोलिन का है, जो पिछले एक दशक से पोप फ्रांसिस के सबसे भरोसेमंद सहयोगियों में गिने जाते हैं. बतौर गृह सचिव (सेक्रेटरी ऑफ स्टेट), वे 2013 से वेटिकन की कूटनीति और प्रशासन का नेतृत्व कर रहे हैं. उनकी उम्र 70 साल है. वे इटली के वेनेतो क्षेत्र से हैं और इस बार के पोप चुनावी कॉन्क्लेव में सबसे ऊंचे पद पर काबिज कार्डिनल हैं. 2014 में उन्हें कार्डिनल का ओहदा मिला था.

2. कार्डिनल पीटर एर्डो: कैथोलिक चर्च में पीटर एर्डो एक ऐसा नाम है जो अपने रूढ़िवादी और परंपरागत विचारों के लिए जाने जाते हैं. इनकी उम्र 72 साल है. साल 2003 में पोप जॉन पॉल द्वितीय ने उन्हें कार्डिनल बनाया था. वे यूरोप के बिशप सम्मेलन परिषद के पूर्व अध्यक्ष भी रह चुके हैं और कैथोलिक परंपराओं के कड़े समर्थक माने जाते हैं. वह तलाकशुदा और पुनर्विवाहित कैथोलिकों को होली फूड का अधिकार नहीं देना चाहते हैं.

3. कार्डिनल मातेओ ज़ुप्पी: कैथोलिक चर्च में सबसे प्रगतिशील और प्रभावशाली चेहरों में से एक हैं. वे पोप फ्रांसिस के सबसे पसंदीदा नेताओं में गिने जाते हैं. उनकी उम्र 69 साल है. 2022 से इटली के एपिस्कोपल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष हैं और 2019 में उन्हें पोप फ्रांसिस ने कार्डिनल नियुक्त किया था. सिर्फ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं, चर्च के भीतर भी ज़ुप्पी समावेशिता और संवाद के पैरोकार माने जाते हैं.

4. कार्डिनल रेमंड बर्क: कैथोलिक चर्च के सबसे रूढ़िवादी चेहरों में से एक हैं. इनकी उम्र 70 साल है. 2010 में पोप बेनेडिक्ट XVI ने उन्हें कार्डिनल बनाया था. उन्होंने पोप फ्रांसिस की सुधारवादी नीतियों पर कई बार तीखा हमला किया है. खासतौर पर तलाकशुदा और पुनर्विवाहित जोड़ों को होली फूड देने की अनुमति पर उन्होंने खुलकर अपनी असहमति जताई.

5.कार्डिनल लुइस एंटोनियो टैगले: लुइस एंटोनियो की उम्र 67 साल है. अगर ये पोप चुने जाते हैं, तो वे इतिहास में पहले एशियाई पोप बन सकते हैं. उन्हें 2012 में पोप बेनेडिक्ट XVI ने कार्डिनल बनाया था. टैगले की छवि चर्च के सबसे प्रगतिशील नेताओं में से एक की रही है. वे पोप फ्रांसिस की नीतियों और उनकी सोच के करीबी माने जाते हैं. खासकर जब बात LGBTQ समुदाय, अविवाहित माताओं और तलाकशुदा कैथोलिकों की हो, तो उन्होंने चर्च की कठोर भाषा और पक्षपातपूर्ण रवैये पर खुलकर सवाल उठाए हैं.

क्या अगले पोप अफ्रीका से भी हो सकते हैं?

इन पांच प्रमुख चेहरों के अलावा मीडिया रिपोर्ट्स में ये भी कहा जा रहा है कि सदियों बाद ऐसा पहली बार हो सकता है कि अगला पोप अफ्रीकी क्षेत्र से चुना जाए, जिसे अब तक चर्च की शीर्ष नेतृत्व में कम प्रतिनिधित्व मिला है. इन दो अफ्रीकी कार्डिनल्स की चर्चा जोरों पर है. पहले हैं घाना के पीटर टर्कसन, जो पोंटिफिकल काउंसिल फॉर जस्टिस एंड पीस के प्रमुख रह चुके हैं और दूसरे हैं कांगो के फ्रीडोलिन अंबोंगो, जो किन्शासा के आर्चबिशप हैं. दोनों ही कट्टरपंथी रूढ़िवादी माने जाते हैं और अपने-अपने देशों में शांति की पैरवी करने के लिए जाने जाते हैं.

Leave a Comment