अब रूस में फिटनेस का शौक भी भारी पड़ सकता है. पुतिन सरकार ने जिम में पसीना बहा रहे लोगों को भी युद्ध में झोंकने का नया तरीका ढूंढ निकाला है. यूक्रेन के खिलाफ जंग लड़ रही पुतिन सरकार अब जिम में पसीना बहा रहे लोगों को भी जबरन सेना में भर्ती कर रही है.
राजधानी मॉस्को के एक फिटनेस सेंटर में हाल ही में ऐसा ही चौंकाने वाली घटना सामने आई, जहां पुलिसवालों ने लोगों को जमीन पर गिरा कर जबरन उनके दस्तावेज़ जांचे और कुछ को सीधे मिलिट्री भर्ती कार्यालय पहुंचा दिया.
‘स्पिरिट फिटनेस’ पर छापा
30 मार्च को दक्षिण-पूर्वी मॉस्को स्थित Spirit Fitness जिम में जब पुलिस अचानक घुसी तो लोग ट्रेडमिल पर दौड़ रहे थे. चश्मदीदों ने बताया कि पुलिस ने सबको ज़मीन पर लिटा दिया और उनके पासपोर्ट लेकर मिलिट्री सर्विस पेज देखने लगी. जिनके रिकॉर्ड में मिलिट्री सर्विस अनिवार्य थी, उन्हें सीधे भर्ती कार्यालय भेज दिया गया.
नागरिक और प्रवासी अलग किए गए
मौके पर मौजूद लोगों ने बताया कि पुलिस ने सबसे पहले नागरिकों और गैर-नागरिकों को अलग किया. रूसी नागरिकों को तो सीधे मिलिट्री चेकिंग के लिए ले जाया गया, वहीं प्रवासियों पर हूलिगनिज़्म जैसे मामूली आरोप लगाकर या तो डिपोर्ट करने की धमकी दी गई या सेना में भर्ती होने का विकल्प दिया गया.
हर हफ्ते हो रहे हैं इस तरह के छापे
रूस के स्वतंत्र मीडिया Current Time के मुताबिक, ऐसी छापेमारी सिर्फ मॉस्को में ही नहीं, बल्कि सेंट पीटर्सबर्ग, इरकुत्स्क और येकातेरिनबर्ग में भी लगातार हो रही है. मानवाधिकार वकीलों ने बताया कि ये रेड महीने में दो बार तक हो रही हैं और इनमें टारगेट वही लोग होते हैं जो नस्लीय तौर पर रूसी नहीं दिखते.
160,000 सैनिकों की जबरन भर्ती
पुतिन सरकार ने इस साल की बायएनुअल कॉल-अप में 1.6 लाख लोगों को सेना में भर्ती करने का आदेश दिया है. अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि ये रेड्स इस आदेश से पहले ही शुरू हो गई थीं. कई मामलों में तो लोगों को गैरकानूनी तरीके से समन थमाकर गिरफ्तार किया जा रहा है, भले ही उनके पास छूट के दस्तावेज हों.
पुतिन ने ईस्टर के मौके पर युद्धविराम की घोषणा की थी, लेकिन यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की का कहना है कि रूसी हमले अब भी जारी हैं. उन्होंने साफ कहा कि मॉस्को के शब्दों पर अब कोई भरोसा नहीं रह गया है.